
महाराष्ट्र के नागपुर से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसने समाज और कानून दोनों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। 17 साल की नाबालिग लड़की सोमवार को पेट दर्द की शिकायत लेकर सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (GMCH) पहुंची। डॉक्टरों ने शुरुआती जांच के बाद उसे उसी शाम छुट्टी दे दी।
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लेकिन जब दोबारा पेट में तेज़ दर्द हुआ, तो वह फिर अस्पताल पहुंची। दो दिन बाद खुलासा हुआ कि लड़की का गर्भपात (मिसकैरेज) हो गया है। यानि वह गर्भवती थी और कोख में ही बच्चे की मौत हो चुकी थी। इसके साथ ही मामला रेप में बदल गया।
लिव-इन में रह रही थी नाबालिग, पुलिस ने पकड़ा 20 वर्षीय युवक
जांच में पता चला कि यह नाबालिग पिछले एक साल से 20 वर्षीय दीपक उइके नामक युवक के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही थी। दोनों के बीच शारीरिक संबंध थे, लेकिन नाबालिग की उम्र की पुष्टि होते ही मामला भारतीय कानून के तहत अपराध बन गया।
GMCH के स्टाफ ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत पुलिस को सूचना दी। हुडकेश्वर पुलिस ने दीपक उइके को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया। उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) और POCSO एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है।
“सहमति का कोई मतलब नहीं जब लड़की नाबालिग हो” – पुलिस
हुडकेश्वर थाने के वरिष्ठ निरीक्षक ज्ञानेश्वर भेड़ोदकर ने स्पष्ट किया कि कानून के तहत नाबालिग की सहमति भी अवैध मानी जाती है।
“भले ही दोनों के बीच संबंध आपसी सहमति से बने हों, लेकिन नाबालिग की उम्र के कारण यह संबंध गैरकानूनी है। हम सभी जरूरी कानूनी कार्रवाई कर रहे हैं।”
मेडिकल जांच में कई ऐसे प्रमाण मिले हैं जो इस केस को और गंभीर बनाते हैं। फिलहाल पुलिस यह जांच कर रही है कि क्या संबंधों में जबरदस्ती या दुर्व्यवहार शामिल था।
फिर छिड़ी बहस: नाबालिगों के लिव-इन पर क्या कहता है कानून?
यह मामला सामने आने के बाद भारत में नाबालिगों के लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर एक बार फिर सामाजिक और कानूनी बहस छिड़ गई है।
भारतीय कानून के अनुसार 18 साल से कम उम्र की किसी भी लड़की के साथ यौन संबंध, उसकी सहमति होने के बावजूद, POCSO एक्ट के तहत दुष्कर्म (रेप) की श्रेणी में आता है।
वहीं यह भी सवाल उठ रहा है कि नाबालिग बच्ची इतने लंबे समय तक लिव-इन में कैसे रह रही थी, और कहीं कोई सामाजिक या पारिवारिक लापरवाही तो नहीं हुई।
यह केवल कानूनी नहीं, सामाजिक चेतावनी भी है
यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं, समाज और युवा पीढ़ी के लिए चेतावनी भी है। नाबालिगों की स्वतंत्रता और सहमति की सीमा, लिव-इन जैसे रिश्तों की समझ और समाज की चुप्पी – इन सभी पहलुओं पर आज फिर गंभीर विचार ज़रूरी हो गया है।
नागपुर की इस घटना ने एक बार फिर साबित किया है कि कानून, नैतिकता और समाज की जटिलताएं तब उभरती हैं जब संवेदनशील मुद्दों पर चुप्पी साध ली जाती है। यह केवल एक केस नहीं, पूरी व्यवस्था पर एक सवाल है।
यदि आप या आपके जानने वाले किसी भी प्रकार के शोषण या संकट में हैं, तो स्थानीय पुलिस या चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 से तुरंत संपर्क करें।
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